16 सूरए नहल -पहला रूकू
सूरए नहल मक्का में उतरी, इसमें 128 आयतें और 16 रूकू हैं.
अल्लाह के नाम से शुरू जो बहुत मेहरबान रहमत वाला(1)
(1) सूरए नहल मक्की है, मगर आयत “फ़आक़िबू बिमिस्ले मा ऊक़िब्तुम बिही” से आख़िर सूरत तक जो आयतें हैं, वो मदीनए तैय्यिबह में उतरीं. इसमें और अक़वाल भी हैं. इस सूरत में सोलह रूकू, 128 आयते, दो हज़ार आठ सौ चालीस कलिमे और सात हज़ार सात सौ सात अक्षर हैं.
अब आता है अल्लाह का हुक्म तो इसकी जल्दी न करो(2)
(2) जब क़ाफ़िरों ने वादा किये गए अज़ाब के उतरने और क़यामत के क़ायम होने की जल्दी झुटलाने और मज़ाक के तौर पर की. इसपर यह आयत उतरी और बता दिया कि जिसकी तुम जल्दी करते हो वह कुछ दूर नहीं, बहुत ही क़रीब है और अपने वक़्त पर यक़ीनन होगा और जब होगा तो तुम्हें उससे छुटकारे की कोई राह न मिलेगी और वो बुत जिन्हें तुम पूजते हो, तुम्हारे कुछ काम न आएंगे.
पाकी और बरतरी है उसे उन शरीकों से(3){1}
(3) वह वाहिद है, उसका कोई शरीक नहीं.
फ़रिश्तों को ईमान की जान यानी वही (देववाणी) लेकर अपने जिन बन्दों पर चाहे उतारता है(4)
(4)और उन्हें नबुव्वत और रिसालत के साथ बुज़ुर्गी देता हैं.
कि डर सुनाओ कि मेरे सिवा किसी की बन्दगी नहीं तो मुझसे डरो(5){2}
(5) और मेरी ही इबादत करो और मेरे सिवा किसी को न पूजो, क्योंकि मैं वह हूँ कि …
उसने आसमान और ज़मीन बजा बनाए(6)
(6) जिनमें उसकी तौहीद की बेशुमार दलीलें हैं.
वह उनके शिर्क से बरतर {उत्तम} है {3} (उसने) आदमी को एक निधरी बूंद से बनाया(7)
(7) यानी मनी या वीर्य से, जिसमें न हिस है न हरकत, फिर उसको अपनी भरपूर क़ुव्वत से इन्सान बनाया, शक्ति और ताक़त अता की. यह आयत उबई बिन ख़लफ़ के बारे में उतरी जो मरने के बाद ज़िन्दा होने का इन्कार करता था. एक बार वह किसी मुर्दे की गली हुई हड्डी उठा लाया और सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम से कहने लगा कि आपका यह ख़याल है कि अल्लाह तआला इस हड्डी को ज़िन्दगी देगा. इसपर यह आयत उतरी और निहायत नफ़ीस जवाब दिया गया कि हड्डी तो कुछ न कुछ शारीरिक शक्ल रखती है. अल्लाह तआला तो वीर्य के एक छोटे से बे हिसो हरकत क़तरे से तुझ जैसा झगड़ालू इन्सान पैदा कर देता है. यह देखकर भी तू उसकी क़ुदरत पर ईमान नहीं लाता.
तो जभी झगड़ालू है {4} और चौपाए पैदा किये उनमें तुम्हारे लिये गर्म लिबास और फ़ायदे हैं(8)
(8) कि उनकी नस्ल से दौलत बढ़ाते हो, उनके दूध पीते हो और उनपर सवारी करते हो.
और उनमें से खाते हो{5} और तुम्हारा उनमें तजम्मुल (वैभव) है जब उन्हें शाम को वापस लाते हो और जब चरने को छोड़ते हो{6} और वो तुम्हारे बोझ उठाकर ले जाते है ऐसे शहर की तरफ़ कि उस तक न पहुंचते मगर अधमरे होकर, बेशक तुम्हारा रब बहुत मेहरबान रहमत वाला है(9){7}
(9) कि उसने तुम्हारे नफ़े और आराम के लिये ये चीज़ें पैदा कीं.
और घोड़े और खच्चर और गधे कि उनपर सवार हो और ज़ीनत (शोभा) के लिये और वह पैदा करेगा(10)
(10) ऐसी अजीब और अनोखी चीज़ें.
जिसकी तुम्हे ख़बर नहीं(11){8}
(11) इसमें वो तमाम चीज़ें आ गई जो आदमी के नफ़े, राहत, आराम और आसायश के काम आती हैं और उस वक़्त तक मौजूद नहीं हुई थीं. अल्लाह तआला को उनका आइन्दा पैदा करना मन्ज़ूर था जैसे कि स्टीमर, रेलें, मोटर ,हवाई जहाज़, विद्युत शक्ति से काम करने वाले आले व उपकरण, भाप और बिजली से चलने वाली मशीनें, सूचना और प्रसारण और ख़बर रसानी, दूर संचार के सामान और ख़ुदा जाने इसके अलावा उसको क्या क्या पैदा करना मन्ज़ूर है.
और बीच की राह (12)
(12) यानी सीधा सच्चा रास्ता और दीने इस्लाम, क्योंकि दो जगहों के बीच जितनी राहें निकाली जाएं, उनमें जो बीच की राह होगी, सीधी होगी.
ठीक अल्लाह तक है और कोई राह टेढ़ी है(13)
(13) जिसपर चलने वाला अस्ल मंज़िल को नहीं पहुंच सकता. कुफ़्र की सारी राहें ऐसी ही हैं.
और चाहता तो तुम सब को राह पर लाता(14){9}
(14) सीधे रास्ते पर.
Filed under: g16-Surah-An-Nahl | Leave a comment »