26 – सूरए शुअरा – चौथा रूकू
۞ وَأَوْحَيْنَآ إِلَىٰ مُوسَىٰٓ أَنْ أَسْرِ بِعِبَادِىٓ إِنَّكُم مُّتَّبَعُونَ
فَأَرْسَلَ فِرْعَوْنُ فِى ٱلْمَدَآئِنِ حَٰشِرِينَ
إِنَّ هَٰٓؤُلَآءِ لَشِرْذِمَةٌۭ قَلِيلُونَ
وَإِنَّهُمْ لَنَا لَغَآئِظُونَ
وَإِنَّا لَجَمِيعٌ حَٰذِرُونَ
فَأَخْرَجْنَٰهُم مِّن جَنَّٰتٍۢ وَعُيُونٍۢ
وَكُنُوزٍۢ وَمَقَامٍۢ كَرِيمٍۢ
كَذَٰلِكَ وَأَوْرَثْنَٰهَا بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ
فَأَتْبَعُوهُم مُّشْرِقِينَ
فَلَمَّا تَرَٰٓءَا ٱلْجَمْعَانِ قَالَ أَصْحَٰبُ مُوسَىٰٓ إِنَّا لَمُدْرَكُونَ
قَالَ كَلَّآ ۖ إِنَّ مَعِىَ رَبِّى سَيَهْدِينِ
فَأَوْحَيْنَآ إِلَىٰ مُوسَىٰٓ أَنِ ٱضْرِب بِّعَصَاكَ ٱلْبَحْرَ ۖ فَٱنفَلَقَ فَكَانَ كُلُّ فِرْقٍۢ كَٱلطَّوْدِ ٱلْعَظِيمِ
وَأَزْلَفْنَا ثَمَّ ٱلْءَاخَرِينَ
وَأَنجَيْنَا مُوسَىٰ وَمَن مَّعَهُۥٓ أَجْمَعِينَ
ثُمَّ أَغْرَقْنَا ٱلْءَاخَرِينَ
إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَةًۭ ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ
और हमने मूसा को वही भेजी कि रातों रात मेरे बन्दों को(1)
(1) यानी बनी इस्राईल को मिस्र से.
ले निकल बेशक तुम्हारा पीछा होना है(2){52}
(2) फ़िरऔन और उसके लश्कर पीछा करेंगे, और तुम्हारे पीछे दरिया में दाख़िल होंगे, हम तुम्हें निजात देंगे और उन्हें डुबा देंगे.
अब फ़िरऔन ने शहरों में जमा करने वाले भेजे(3){53}
(3) लश्करों को जमा करने के लिये, जब लश्कर जमा होगए, तो उनकी कसरत के मुक़ाबिल बनी इस्राईल की संख्या थोड़ी मालूम होने लगी. चुनान्चे फ़िरऔन ने बनी इस्राईल की निस्बत कहा.
कि ये लोग एक थोड़ी जमाअत हैं{54} और बेशक वो हम सब का दिल जलाते हैं (4){55}
(4) हमारी मुख़ालिफ़त करके और हमारी इजा़ज़त के बिना हमारी सरज़मीन से निकल कर.
और बेशक हम सब चौकन्ने हैं (5){56}
(5) हथियार बाँधे तेयार हैं.
तो हमने उन्हें (6)
(6) यानी फ़िरऔनियों को.
बाहर निकाला बाग़ों और चश्मों {57}और ख़जानों और उमदा मकानों से{58} हमने ऐसा ही किया और उनका वारिस कर दिया बनी इस्राईल को(7){59}
(7) फ़िरऔन और उसकी क़ौम के ग़र्क़ यानी डूबने के बाद.
तो फ़िरऔनियों ने उनका पीछा किया दिन निकले {60} फिर जब आमना सामना हुआ दोनों गिरोहों का(8)
(8) और उनमें से हर एक ने दूसरे को देखा.
मूसा वालों ने कहा हमको उन्होंने आ लिया(9){61}
(9) अब वो हम पर क़ाबू पा लेंगे. न हम उनके मुक़ाबले की ताक़त रखते हैं, न भागने की जगह है क्योंकि आगे दरिया है.
मूसा ने फ़रमाया यूं नहीं, (10)
(10) अल्लाह के वादे पर पूरा पूरा भरोसा है.
बेशक मेरा रब मेरे साथ है वह मुझे अब राह देता है{62} तो हमने मूसा को वही (देववाणी) फ़रमाई कि दरिया पर अपना असा मार(11)
(11) चुनान्चे हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने दरिया पर लाठी मारी.
तो जभी दरिया फट गया(12)
(12) और उसके बारह हिस्से नमूदार हुए.
तो हर हिस्सा हो गया जैसे बड़ा पहाड़ (13){63}
(13)और उनके बीच ख़ुश्क राहें.
और वहाँ क़रीब लाए हम दूसरों को(14){64}
(14)यानी फ़िरऔन और फ़िरऔनियों को, यहाँ तक कि वो बनी इस्राईल के रास्तों पर चल पड़े जो उनके लिये दरिया में अल्लाह की क़ुदरत से पैदा हुए थे.
और हमने बचा लिया मूसा और उसके सब साथ वालों को(15) {65}
(15)दरिया से सलामत निकाल कर.
फिर दूसरों को डुबो दिया(16){66}
(16) यानी फ़िरऔन और उसकी क़ौम को इस तरह कि जब बनीं इस्राईल कुल के कुल दरिया से पार हो गए और सारे फ़िरऔनी दरिया के अन्दर आ गए तो दरिया अल्लाह के हुक्म से मिल गया और पहले की तरह हो गया. और फ़िरऔन अपनी क़ौम सहित डूब गया.
बेशक इसमें ज़रूर निशानी है, (17)
(17) अल्लाह की क़ुदरत पर और हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम का चमत्कार.
और उनमें अक्सर मुसलमान न थे (18){67}
(18) यानी मिस्र निवासियों में सिर्फ़ फ़िरऔन की बीबी आसिया और हिज़क़ील जिनको फ़िरऔन की मूमिन औलाद कहते हैं, वो अपना ईमान छुपाए रहते थे और फ़िरऔन के चचाज़ाद थे और मरयम जिसने हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम की कब्र का निशान बताया था, जब कि हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने उनके ताबूत को दरिया से निकाला.
और बेशक तुम्हारा रब ही इज़्ज़त वाला(19)
(19) कि उसने काफ़िरों को ग़र्क़ करके बदला लिया.
मेहरबान है(20){68}
(20) ईमान वालों पर जिन्हें ग़र्क़ होने से बचाया.
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